जैव विविधता (Biodiversity)
पृथ्वी पर उपस्थित अलग-अलग जातिया, अलग-अलग समुदाय, विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र जैव-विविधतता को दर्शाते है। ये विभिन्नताऐं एक जाति मे भी होती है जैसे सभी मनुष्य एक जाति होमो सेंपियन्स का सदस्य है परन्तु सभी को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। जैव-विविधतता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम W G रोजेन ने किया था। जैव-विविधतता दीर्घकाल तक जीवन को निरन्तर बनाये रखने के लिए अति आवश्यक है तथा मनुष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आवश्यकताओं के लिए इस पर निर्भर रहता है।
जैंव-विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity):-
जैविक संगठन के विभिन्न स्तरो के आधार पर जैंव विविधता को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
आनुवंशिक जैव-विविधता :-
एक ही जाति के जीवो मे पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नताऐ जैसे-उपजाति या किस्मे, जीनो मे पायी जाने वाली विभिन्नताऐ आनुवंशिक विविधता के अनतर्गत आती है।
जातीय जैंव-विविधता :-
एक वंश कई जातियो से मिलकर बना हो सकता है जैसे- आलू, बैंगन, टमाटर भिन्न जातिया होते हुये भी एक ही वंश सोलेनम मे आती है
वंशीय जैंव-विविधता
जीवों का प्रत्येक समुह जो कई वंशो से मिलकर बना होता है जैसे- (दाले, मसाले), (कुत्ता, बिल्ली) आदि। इस प्रकार कि विभिन्नताऐ वंशीय विविधता कहलाती है।
पारिस्थितिक तंत्रीय जैंव-विविधता
विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रो मे पायी जानी वाली विभिन्नताऐ। ये निम्न प्रकार हो सकती है-
- अल्फा विविधता- एक समुदाय मे जातियो कि संख्या।
- बीटा विविधता- दो समुदायो के बीच विविधता।
- गामा विविधता- भौगोलिक क्षैंत्रो की विविधता।
जैव-विविधता के उपयोग-
- भोजन एवं उन्नत किस्मों का स्त्रोंत।
- पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बनाने में।
- दवाईया एवं औषधिया प्रदान करने मे।
- सौन्दर्यपरक एवं सांस्कृतिक लाभ आदि।
जैव विविधता को खतरा-
- प्राकृतिक आवसों का विनाश।
- प्रदूषण और विक्षोभ।
- विदेशी जातियों का आक्रमण आदि।
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