वर्गिकी (Taxonomy)

वर्गिकी (Taxonomy)

   जीवों को पहचान कर उनका नाम रखना नामकरण (Nomenclature) कहलाता है, जीवों को समान लक्षणों के आधार पर समुहबद्ध करना वर्गीकरण (Classification)  कहलाता है। जीवों को पहचानना तथा उनका वर्गीकरण तथा नामकरण का अध्ययन वर्गिकी (Taxonomy) कहलाता ह। जीवों की पहचान, नामकरण, वर्गीकरण, विविधताओं तथा इनके बीच अंतर्संबंधों  का अध्ययन विज्ञान कि जिस शाखा मे किया जाता है उसे वर्गीकरण विज्ञान या सिस्टेमेटिक्स्  (Systematics) कहा जाता है। यह वर्गिकी (Taxonomy) का बड़ा स्वरूप माना जा सकता है। इसके अन्तर्गत हम सबसे पहले यह समझेगें की जीवन क्या है अर्थात जीवन की परिभाषा तथा लक्षणों का अध्ययन करेंगे तथा निम्न बिन्दुओं के अनुसार इस शाखा का सम्पुर्ण अध्ययन करेंगें-


जीवन की परिभाषा (Definition of life)  

   रासायनिक पदार्थो का वह सगठन जिनमे जैविक क्रियाऐ जैसे-उपापचय, जनन, वृद्धि, संवेदनशीलता आदि हो उसे जीवन कहा जा सकता है-

जीवों के अभिलक्षण:-

  • सभी जीव वृद्धि करते है।
  • सभी जीव जनन करते है।
  • सभी जीव उपापचय क्रियाऐ  करते।
  • सभी जीव रसायनों से बने होते है।
  • सभी जीव अपने आस-पास के पर्यावरणीय उद्दीपनों (भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक) के प्रति संवेदनशील होते है तथा प्रतिक्रियाये करते है।

जैव विविधता (Biodiversity)

   पृथ्वी पर उपस्थित जीवन में पाये जाने वाली विभिन्नताऐं जो एक जाति मे भी हो सकती है दो जातियो के मध्य अथवा दो पारिस्थितिक तंत्रो के मध्य भी हो सकती है जैव-विविधता कहलाती है।
   जैव विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम W. G. रोजेन ने किया था। मानव जीवन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आधारभूत आवश्यकताओं के लिये जैव विविधता पर निर्भर रहता है यह दीर्घकाल तक जीवन के सांतत्य, पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन व पर्यावरण की समग्रता को बनाये रखने के लिये आवश्यक है।

वर्गीकरण की आवश्यकता (Need Of Classification)

   प्रकृति में उपस्थित लाखों सजीवों का अलग-अलग अध्ययन करना संभव नही होता है, लेकिन मिलती-जुलती जातियों के समूह में से किसी एक का अध्ययन कर लेने से पूरे समूह की जातियो का मूल ज्ञान हो जाता है। अध्ययन की सुविधा के लिए वर्गीकरण की आवश्यकता  होती है।

जाति का सिद्धान्त (Concept of species)

   जीवों का वह समुह जिनकी संरचना एवं व्यवहार अत्यधिक समानता रखता हो, इसके सदस्य आपस मे प्राकृतिक रूप से प्रजनन करने मे सक्षम हो, तथा इनका विकास एक ही पूर्वज से हुआ हो एक जाति के सदस्य कहलाते है।  जाति वर्गीकरण एवं जैंव विकास की मूलभूत इकाई (Basic unit) है। जाति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जाॅन रे ने किया ।
मेयर के अनुसार "जाति आपस में प्रजनन करने वाले एक समान जीवों का समूह है।"
     वर्गिकीय पदानुक्रम मे अनेक वर्गक एक निश्चित क्रम मे व्यवस्थित किये जाते है जैसे -जाति-वंश-कुल-गण-वर्ग-संघ-जगत । यह सर्वप्रथम लीनियस द्वारा दिया गया था। लीनियस ने केवल पाॅच वर्गको का उपयोग किया था वर्ग, गण, वंश, जाति, किस्म। इनमे से किस्म को अस्वीकार कर दिया गया तथा अन्य वर्गक जोंड़ दिये गये।
   सबसे अधिक समानतायें रखने वाले जीवों के समूह जो आपस में प्रजनन करने मे सक्षम हो एक जाति (Species)  के अन्तर्गत आते है इसी प्रकार सबसे अधिक समानतायें रखने वाली जातियों का समूह एक वंश (Genus)  बनाता है और इसी प्रकार समानताऐं रखने वाले वंश मिलकर एक कुल (Family)  क अन्तर्गत आते है तथा समान कुल मिलकर एक गण बनाते है समान गण (Order)  मिलकर समान गण मिलकर एक वर्ग (Class) का निर्माण करते है तथा समान वर्ग मिलकर संघ या भाग (Phylum / Division) बनाते है और इसी प्रकार अनेक संघ एक जगत  (Kingdom) बनाते है जैसें पादप जगत। 
   जीवों को पहचान कर उनका नाम रखना नामकरण कहलाता है सभी जीवों के क्षैंत्र, भाषा आदि के अनुसार अलग-अलग नाम होते है जैंसे-हिन्दी मे कौंवा, अंग्रेजी मे क्रौं आदि। इसी कारण इनकों अन्य क्षैंत्र, भाषा के लोंगो को पहचानने मे असुविधा होती है इस कारण सर्वप्रथम केरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचरी मे जीवों के नामकरण के लिए द्विनाम पद्धति प्रस्तुत की इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीव के दो नाम दिये जातें है- पहला वंश व दुसरा जाति का नाम। वंश का नाम अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर से तथा जाति का नाम छोटे अक्षर से शुरू होता है। वंश और जाति के नाम तिरछे लिखे जाते है या दोनों को अलग-अलग रेंखाकिंत करना आवश्यक होता है। 
   जैंसे- भारतीय कौंआ -Corvus splendens

वर्गिकी सहाया साधन-संग्रहालय, चिड़ियाघर, हरबेरियम, वनस्पति उद्यान, ( Tools for study of Taxonomy-Museums, Zoos, Herbaria, Botanical Gardens)

   अध्ययन कि सुविधा के लिये तथा वर्गीकरण के लिये वर्गिकी सहायता साधनों जैसे- हर्बेरियम, वनस्पति उद्यान, चिडियाघर, संग्रहालय का उपयोंग अधिक लाभकारी होता है। विद्यार्थियों, रिसर्चकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों को अध्ययन के लिए सामाग्री एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाती है जिससे समय की बचत होती हैं तथा तुलना करना आसान हो जाता है।

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