द्विनाम पद्धति (Bionominal Nomenclature)
जीवों को पहचान कर उनका नाम रखना नामकरण कहलाता है सभी जीवों के क्षैंत्र, भाषा आदि के अनुसार अलग-अलग नाम होते है जैंसे-हिन्दी मे कौंवा, अंग्रेजी मे क्रौं आदि। इसी कारण इनकों अन्य क्षैंत्र, भाषा के लोंगो को पहचानने मे असुविधा होती है इस कारण सर्वप्रथम केरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचरी मे जीवों के नामकरण के लिए द्विनाम पद्धति प्रस्तुत की इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीव के दो नाम दिये जातें है- पहला वंश व दुसरा जाति का नाम। वंश का नाम अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर से तथा जाति का नाम छोटे अक्षर से शुरू होता है। वंश और जाति के नाम तिरछे लिखे जाते है या दोनों को अलग-अलग रेंखाकिंत करना आवश्यक होता है।
जैंसे- भारतीय कौंआ -Corvus splendens
त्रिनाम पद्धति
यह हेक्सले व स्ट्रीकलेन्द्र द्वारा दिया गया। इस पद्धति मे पहले वंश, उसके बाद जाति तथा अंत मे उपजाति को लिखा जाता है।
जैंसे- भारतीय कौंआ -Corvus splendens splendens
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